Farzi Baatein

बचपन की माचिस, ब्रांड्स और नॉस्टैल्जिक यादें | Childhood Matchbox Brands

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ये किस्सा उस समय का है जब मेरी बेटी 3.5 साल की थी। हालाँकि इस बात को अब काफी वक्त बीत चुका है, लेकिन आज अचानक ये याद फिर से ताज़ा हो गई, जब मैंने ऑनलाइन माचिस का एक नया ब्रांड देखा।बात छोटी-सी थी, पर उसके सवाल ने मुझे सीधा मेरे बचपन में पहुँचा दिया।उस समय मैं ऑनलाइन क्लासेस लेता था और खाली समय में लिखने का शौक पूरा करता था। लेकिन अपनी बेटी के साथ वक्त बिताना मेरी पहली प्राथमिकता थी। इस उम्र के बच्चों का सबसे बड़ा शौक होता है सवाल पूछना—और उनके सवाल इतने तेज़ आते हैं कि आप एक का जवाब दें, उससे पहले ही अगला सवाल तैयार खड़ा रहता है।ऐसा ही एक सवाल मेरी बेटी ने एक सुबह पूछा था…

बचपन की माचिस के पुराने ब्रांड्स

बेटी का सवाल और एक पुरानी याद

मैं सुबह पूजा के लिए दीया जलाने जा ही रहा था, तभी मेरी बेटी ने माचिस उठा ली और पूछा—

“पापा, हर बार एक जैसी माचिस ही क्यों लाते हो?”

(पोस्ट Sponsored नहीं है, इसलिए माचिस का ब्रांड नाम नहीं बताऊँगा 😉)

मैंने मुस्कुराकर कहा—
“बेटा, आजकल यही मिलती है। दूसरी मिलेगी तो वो भी लाऊँगा।”

उसने मासूमियत से कहा—
“ठीक है, मास्क लगाकर जाना और दूसरी माचिस ले आना।”

उसकी ये बात सुनकर मुझे अचानक अपने बचपन की एक प्यारी याद याद आ गई।

माचिस इकट्ठा करने का खेल

जब मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने नाना-नानी के घर जाता था, तो दोस्तों के साथ एक मज़ेदार खेल खेलता था। हम लोग माचिस के अलग-अलग ब्रांड्स के कवर इकट्ठा करते थे

उस समय न जाने कितनी किस्मों की माचिस मिलती थी—
जहाज, तलवार, कार, बाइक, सूरज, कबूतर, गुलाब, बतख, ज़ेब्रा… और भी बहुत कुछ।

हम इन माचिस के कवरों को ताश की गड्डी की तरह खेलते थे। हर ब्रांड की अपनी एक वैल्यू होती थी—

  • शेर – बकरी, भेड़ और हिरण से बड़ा
  • जहाज – नाव और तलवार से बड़ा
  • और इंसान – सबसे बड़ा

हमारा बस एक ही मकसद होता था कि सबसे यूनिक और ज्यादा ब्रांड्स हमारे पास हों

आज सोचता हूँ तो लगता है कि उस खेल से बहुत कुछ सीखने को मिलता था, लेकिन उस वक्त तो बस मज़ा और शौक था।


यादें और मलाल

बेटी के सवाल ने ये यादें ताज़ा कर दीं, लेकिन एक छोटा-सा मलाल भी रहा—काश मेरे पास आज भी वे पुराने माचिस के ब्रांड्स होते। हालाँकि, मेरे पास अभी भी Big Fun बबलगम के क्रिकेट वाले कार्ड्स सुरक्षित हैं, जो बचपन की दूसरी प्यारी यादों में से एक हैं।

एक और बात भी ध्यान आई—पहले माचिस के कितने सारे ब्रांड्स मिलते थे, पर अब गिनने बैठोगे तो शायद 10 से भी कम रह गए हैं

आपकी बारी

क्या आपने भी बचपन में ऐसा कोई खेल खेला है?
या कोई ऐसा छोटा-सा शौक जो अब सिर्फ यादों में रह गया है?
कॉमेंट में ज़रूर बताइएगा—शायद आपकी भी कोई याद हमें बचपन में ले जाए।

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AB17
AB17
10 days ago

Nice article, I also had a match sticks brand collection and those big bubble cricket cards 🙂

Amandeep
Amandeep
10 days ago

बहुत प्यारा 👏 आज भी मैंने सम्भाल कर रखा हैं जो माचिस के पत्ते इकट्ठा किए थे, और कई अनगिनत छोटी छोटी चीज़. माँ कहती है इन्हें फेंक क्यों नहीं देते मग़र मैं ज़िद करके उन्हें बचा रखा हैं और साथ ही अपना बचपन…🥺

Last edited 10 days ago by Amandeep
Rajat Bansal
Rajat Bansal
10 days ago

Amazing and beautifully written !

Ankit Chopra
Ankit Chopra
7 days ago

Chirag bhai Bachapan ki yad dila di, Nice work and unique topic raised. keep it up 👍