मैं आज फिर डाकिये को बेवजह डाँट रहा था, फिर पुचकार रहा था।सच तो ये है कि तूने आज भी मेरे खत का जवाब नहीं भेजा है।ना जाने तू किस बात से डर रही है? दुनिया से…?इस दुनिया से तो बिलकुल ना डरना।ये तो पहले से ही गरीबी-अमीरी, जात-पात, सच-झूठ…
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बदलते दौर की कहानी – 90s की मोहब्बत बनाम आज की लव स्टोरी
बदलते दौर की कहानी,
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कुछ किताबें अधूरी मोहब्बत जैसी होती हैं… पूरी होकर भी अधूरी
कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर भी दिल में हमेशा पूरी रहती हैं। ये एक ऐसी प्रेमकहानी है, जो किताब के हर पन्ने पर बसी है लेकिन आख़िरी पन्ने तक कभी पहुँची ही नहीं। एक लड़के की तरफ़ से उसकी अधूरी मोहब्बत के नाम एक खूबसूरत ख़त।"