
सचिन तेंडुलकर को आउट करने का सपना तो हर गेंदबाज़ देखता है, लेकिन उन्हें शून्य पर आउट करने का मौका बहुत कम गेंदबाज़ों को मिला है। भुवनेश्वर कुमार उन्हीं चुनिंदा गेंदबाज़ों में से एक हैं, जिन्होंने 2008 के रणजी फाइनल में सचिन तेंडुलकर को पहली बार घरेलू क्रिकेट में शून्य पर आउट किया था।
सचिन को आउट करने का अनुभव?
प्रश्न: सचिन तेंडुलकर को शून्य पर आउट करना आपके लिए कितना खास रहा?
भुवनेश्वर: हर क्रिकेटर की तरह मेरा भी सपना सचिन के खिलाफ खेलने का था। जब वह आउट होकर पवेलियन लौटे, मैं उनसे बाद में मिलने गया था, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। शायद कोई भी बल्लेबाज़ आउट होने के बाद बात करना पसंद नहीं करता।
सीनियर खिलाड़ियों से क्या सलाह मिली थी?
भुवनेश्वर: मैंने सिर्फ यही सोचा कि अपनी स्ट्रेंथ के हिसाब से गेंदबाज़ी करूँ। सीनियर खिलाड़ियों ने उस समय मेरा बहुत हौसला बढ़ाया, जिससे मुझे काफी आत्मविश्वास मिला।
प्रवीण कुमार और आर.पी. सिंह से क्या सीखा?
भुवनेश्वर: मैंने उनसे सीखा कि इंटरनेशनल लेवल पर गेंदबाज़ी कैसे करनी है और किस तरह आगे बढ़ना है। सीनियर खिलाड़ियों की टिप्स हमेशा काम आती हैं।
भारतीय पिचों पर स्विंग करना मुश्किल होता है, आप कैसे मोटिवेट रहते हैं?
भुवनेश्वर: जब पिच से मदद न मिले, तब विकेट-टू-विकेट गेंदबाज़ी करना ही सही तरीका है। ऐसे मौकों पर सीनियर खिलाड़ियों की सलाह बहुत मदद करती है।
आईपीएल और इंटरनेशनल बल्लेबाज़ों को गेंदबाज़ी का अनुभव?
भुवनेश्वर: इंटरनेशनल प्लेयर्स का अनुभव ज्यादा होता है, लेकिन मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि किसी बल्लेबाज़ को आउट करना मुश्किल है। बस आपको सही गेंदबाज़ी करनी आती होनी चाहिए।
ईडन गार्डन्स पर पहला घरेलू मैच
भुवनेश्वर: ईडन गार्डन्स मेरा पसंदीदा मैदान है। पहले मैच में मैंने 3 विकेट लिए थे, इसलिए इसे अपना लकी ग्राउंड मानता हूँ।
स्पीड vs स्विंग
भुवनेश्वर: मेरे लिए स्विंग ज्यादा मायने रखती है। हर गेंदबाज़ की अपनी स्ट्रेंथ होती है – उमेश यादव और ऐरोन की स्पीड है, मेरी स्विंग।
बल्लेबाज़ी में योगदान और भारतीय टीम में चयन
भुवनेश्वर: मैं एक ऑलराउंडर के तौर पर खेलता हूँ। अच्छी बल्लेबाज़ी से गेंदबाज़ी में आत्मविश्वास बढ़ता है।
क्रिकेट का जुनून कैसे शुरू हुआ?
भुवनेश्वर: बचपन से क्रिकेट खेलने का शौक था, लेकिन अंडर-19 में चयन के बाद लगा कि क्रिकेटर बन सकता हूँ।
आईडल कौन हैं?
भुवनेश्वर: प्रवीण कुमार मेरे रोल मॉडल रहे हैं। बल्लेबाज़ी में सचिन तेंडुलकर की बल्लेबाज़ी हमेशा पसंद आई है।
यादगार पल
भुवनेश्वर: सचिन को शून्य पर आउट करना और उस मैच में 5 विकेट लेना तथा 80 रन बनाना अब तक का सबसे यादगार पल है।
नए खिलाड़ियों के लिए सुझाव
भुवनेश्वर: क्रिकेट में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। खेल पर फोकस रखें और मेहनत करना कभी बंद न करें।
निजी पसंद
पसंदीदा गायक: सोनू निगम (चंदा की डोली गाना पसंद है)
खाली समय में: गाने सुनना और दोस्तों के साथ घूमना
श्रेय किसे देंगे?
भुवनेश्वर: अपने माता-पिता, दीदी और कोच विपिन व संजय रस्तोगी को। पहली बार दीदी ही मुझे स्टेडियम खेलने ले गई थीं।